Sunday, May 15, 2011

जब भी तुम आती हो....

जिन्दगी के सफ़रनामें में कभी किसी के आने का इन्तजार, पदचापों की आहट.. बदन में झुरझुरी पैदा करने के लिए काफी है...... इसी सफरनामे से एक अभिव्यक्ति...... शायद ये मेरी चाहत हो..... हो सकता है..... आप भी कभी इसकी गिरफ्त में रहें हों.... अगर शोर है... तो भी पढ़ना, मौन हो तो भी पढ़ना... दिल की दास्ताँ हर पल सुनी जाती है..... समर्पित है मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी जरूरत..... मेरी जीवन संगिनी  सुषमा को.
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7 comments:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर अहसासों को सुन्दर शब्दों से नवाज़ा है………भावभीनी प्रस्तुति। और जो महसूस्र होता है वो ही लिखती हूँ झठी तारीफ़ नही आती।

vandana gupta said...

इस ब्लोग मे फ़ोलोवर का लिंक भी जोडो। और वर्ड वैरिफ़िकेशन हटाओ।

(कुंदन) said...

बहुत सुन्दर लिखा है भाई ..... प्रेम का दर्शन होता है हर एक शब्द से

(कुंदन) said...

बहुत सुन्दर लिखा है ......एक एक शब्द प्रेम का दर्शन कराता है

Anju (Anu) Chaudhary said...

सुन्दर अभिव्यक्ति ....सादगी कि भाषा से लिखी हुई एक सची अभिव्यक्ति
बहुत खूब

मुकेश कुमार सिन्हा said...

khubsurat rachna......

Anju (Anu) Chaudhary said...

एहसासों का अच्छा चित्रण ...बहुत खूब