Saturday, August 27, 2011

दर्द सा होता है

काश दर्द को कोई
नाम दे पाता
तो जरूर दे देता
ये दर्द है या
मेरे होने का सिला
आज तक
समझ नहीं पाया
बस कहीं
कुछ चुभता है,
दर्द सा होता है.
क्यों पता नहीं
कहाँ ये भी
नहीं पता
कभी टेसुओं
सा बहता है
कभी अंगार
सा जलता है.
ज्वार सा
उठता है
सागर सा फैल
अणु सा
सिमट जाता है
बस कहीं
कुछ चुभता है,
दर्द सा होता है.

(आशुतोष पाण्डेय)

Sunday, May 15, 2011

जब भी तुम आती हो....

जिन्दगी के सफ़रनामें में कभी किसी के आने का इन्तजार, पदचापों की आहट.. बदन में झुरझुरी पैदा करने के लिए काफी है...... इसी सफरनामे से एक अभिव्यक्ति...... शायद ये मेरी चाहत हो..... हो सकता है..... आप भी कभी इसकी गिरफ्त में रहें हों.... अगर शोर है... तो भी पढ़ना, मौन हो तो भी पढ़ना... दिल की दास्ताँ हर पल सुनी जाती है..... समर्पित है मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी जरूरत..... मेरी जीवन संगिनी  सुषमा को.
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Saturday, May 14, 2011

पहली कविता दर्द से...

जिन्दगी की कही-अनकही, होनी-अनहोनी को महसूस कर अनायास शब्द आ जातें हैं, उन्हें लिख देता हूँ, तो कविता बन जाती है, क्या लिखता हूँ, उसकी समीक्षा आज तक जरूरी नहीं समझी, न ही चाहूँगा कि किसी प्रकार की कृत्रिमता का आवेग इन रचनाओं में आये, लम्बे समय से लिख रहा हूँ, पुराना ब्लोगर भी हूँ लेकिन आज तक इस सब को छुपाये रखा, आज जब जीवन में एक नए मोड़ पर खडा, एक नई जिन्दगी का इन्तजार कर रहा हूँ, कहीं अन्धकार में वो जीवन पा रहा है और मैं इन गीतों को उसके लिए
लिख रहा हूँ, ये मेरी खुशी है दोस्तों...... सच एक डर भी है, और एक सिहरन भी..... शायद एक नए काव्य की अभिव्यंजना हो.... इसे पढिये और जो कहना हो कह दीजिये.... इस के लिए.... उस आने वाले के लिए.