जिन्दगी के सफ़रनामें में कभी किसी के आने का इन्तजार, पदचापों की आहट.. बदन में झुरझुरी पैदा करने के लिए काफी है...... इसी सफरनामे से एक अभिव्यक्ति...... शायद ये मेरी चाहत हो..... हो सकता है..... आप भी कभी इसकी गिरफ्त में रहें हों.... अगर शोर है... तो भी पढ़ना, मौन हो तो भी पढ़ना... दिल की दास्ताँ हर पल सुनी जाती है..... समर्पित है मेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी जरूरत..... मेरी जीवन संगिनी सुषमा को.
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